पुष्पेन्द्र " पुष्प " .....
पुष्पेन्द्र " पुष्प " एक ऐसे गीतकार हैं जिनके गीतों में भी उतनी ही विविधता है जितनी की इंसानी जिंदगी में ! उनकी हर रचना जिंदगी और इंसानी रिश्तों की तल्ख़ सच्चाइयों से रूबरू कराती है !
पुष्पेन्द्र " पुष्प " जहां एक और यथार्थ वादी रचनाकार हैं वहीँ वे भावुक रूमानियत के भी गज़ब के चितेरे हैं ! प्रेम और स्नेह की गंध से भरपूर उनकी रचनाएं जुबान पर छा जाती हैं ! उनके कई गीत लोगों की जुबान पर चढ़ चुके हैं और बेहद लोकप्रिय हो रहे हैं !
पुष्पेन्द्र " पुष्प " फिल्मों के लिए भी लिख रहे हैं ! उनके गीतों की विशेषता है उनकी सरलता ! वे वजनी बात को भी बेहद सरल शब्दों में पिरो देते हैं ! पुष्पेन्द्र " पुष्प " एक भावुक और गंभीर पारिवारिक युवक हैं और मैं उन्हें इसलिए भी बहुत अधिक पसंद करता हूँ क्योंकि वे गज़ब के साहसी भी हैं ! एक अनुज के रूप में वे मेरे दिल के बेहद करीब हैं !
पुष्पेन्द्र " पुष्प " उन चंद लोगों में हैं जिनके साथ मैं समय बिताना पसंद करता हूँ !उनसे भ्रातत्व का रिश्ता है... दिल का रिश्ता है ! उनकी हर रचना उनकी दिल की आवाज़ है ... उनकी रचनाओं से उनको समझा जा सकता है ! हमें गर्व है की वे सिंह सदन का अभिन्न अंग हैं और आने वाला कल यक़ीनन उनका है ...
पुष्पेन्द्र " पुष्प " अपनी ताज़ा रचना में जीवन की और इंसानी रिश्तों की तल्ख़ सच्चाइयों से रूबरू करा रहे हैं उम्मीद है ये पुरकशिश रचना आपके दिल को अवश्य ही छू जाएगी ! आपकी प्रतिक्रियाओं का इंतज़ार रहेगा ... आपका ...
----- पंकज के . सिंह ( संपादक )
जीवन क्या है ...
जीवन क्या है ...कुछ भी नहीं
तेरा क्या है ......कुछ भी नहीं
जिसको तू कहता है अपना
एक दिन वो ठुकरायेगा
जायेगा जब छोड़ के जग को
कोई साथ न जायेगा
रिश्ता क्या है .....कुछ भी नहीं .........१
तेरा क्या है ......कुछ भी नहीं
जीवन और मृत्यु में लोगो
फर्क नहीं कुछ और
आँख खुली तो जीवन है सब
बंद हुई तो मौत
जीवन क्या है .....कुछ भी नहीं ..........२
तेरा क्या है ......कुछ भी नहीं
इन्सा जब इस जग में आता
हाथ में चंद लकीरें लाता
कांधों पर रिश्तों की गठरी
फिर भी खुद को तनहा पाता
दुनियां क्या है ......कुछ भी नहीं ........३
तेरा क्या है ......कुछ भी नहीं
जीवन क्या है ...कुछ भी नहीं
***** पुष्पेन्द्र “पुष्प”
3 comments:
परम आदरनीय भइया
इतने प्यार और सम्मान के लिए
में सदैव आपका ऋणी रहूँगा
अपने छोटे भाई का प्रणाम स्वीकारें
भैया सच में पिंटू भैया एक बेहतरीन रचनाकार और बेहतरीन इंसान हैं.....
आपने उनके लिए जो लिखा सोलह आने सच है......
आपको धन्यबाद...
और पिंटू भैया इस नयी रचना के लिए क्या कहूँ...
मैं शब्दरहित हो गयी हूँ .....
आपको ह्रदय से प्रणाम....
Bitiya
सम्पादक पंकज जी को रचनाकार पुष्प से मिलाने का आभार.
रचनाकार ने रूहानी- सूफियाना लहजे से लिखने की जो कोशिश की है उसमे वे कामयाब हैं.... कोई आश्चर्य नहीं की एक दिन वो आएगा जब इन गीतों को सही मुकाम मिलेगा और देश दुनिया इन गीतों को दोहराएगी. पूरा गीत अच्छा है मगर ये बंद बहुत प्रभावशाली है...
इन्सा जब इस जग में आता
हाथ में चंद लकीरें लाता
कांधों पर रिश्तों की गठरी
फिर भी खुद को तनहा पाता
दुनियां क्या है ......कुछ भी नहीं ........!!
PK
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