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Sunday, March 4, 2012

आंगनबाड़ी vol. 5


ओ री सखी रंग अबीर मँगा दे..... 
नन्दलाल के द्वार खेलूंगी गुलाबी होली.....

गेंदा कुमुदनी की माला बना दे.....
फूलों में दासी का नाम गुंथा दे.....
मेरे  मनोहर के अंग पहना दे....
घनश्याम के नाम करूंगी गुलाबी होली......

भक्ति के भावों का केसरिया चन्दन....
खिलती छटाओं का हरियाला संगम....
उजली सुनहरी किरणों की छम छम....
मैं तो सांवरे के रंग रंगूँगी  गुलाबी होली....

मिटटी का बर्तन मेरी काया का दर्पण .....
प्रेम का अर्पण मेरी आत्मा का समर्पण....
मेरे स्वामी को ये भेंट पहुंचा दे.....
उन्ही ईश्वर के चरण मनेगी गुलाबी होली....

ओ री सखी मेरे कान्हा को बुला दे.....
फागुन के गीतों में सजेगी गुलाबी होली.....

***NEHA SINGH

3 comments:

Anonymous said...

sundar holi
badhaiyan
pushp

SINGHSADAN said...

I am completely smitten by this innocent writing .. only an innocent and tender soul can write this kind of thing.. love you sweat heart ..dear child .. god bless you .

**** PANKAJ K. SINGH

sachin singh said...

pankaj chacha ji ne sab kah diya hai neha ..... very good writting

congrats.....