मंजिलें और भी हैं ...
सिंह सदन का साहित्य , मीडिया और सिनेमा से एक बेहद आत्मीय रिश्ता रहा है ! लगभग तीन दशकों से यह नायाब रिश्ता परवान चढ़ रहा है ! समाचार पत्र - पत्रिकाओं से शुरू हुआ लेखन का सफ़र "वाबस्ता " तक जा पहुंचा है !निसंदेह आगे मंजिलें और भी हैं ...
इंटर नेशनल बुक फेयर में सिंह सदन की दस्तक |
पाठकों में "वाबस्ता "की दीवानगी ... |
हर और "वाबस्ता" ही "वाबस्ता " |
सिनेमा की तकनीकियों से रूबरू ... |
एतिहासिक द्रश्य का साक्षी ... |
एक और पाकीज़ा ..... |
बोलीवुड के एतिहासिक पड़ाव का अहसास .... |
गिरीश कर्नाड के सृजन का गवाह .... |
सिंह सदन -एक क्रिएटिव फैमिली **** PRESENTED BY PANKAJ K. SINGH & SINGH SADAN HALL OF FAME DIVISION |
2 comments:
WAAAH BHAIYA
SUNDAR PHOTO
VABASGI YU HI CHALTI RAHE
प्रिय पंकज,
वाबस्ता के लिए हम सभी बधाई के हकदार हैं. पुस्तक मेले में यह संयोग वाकई मजेदार रहा....... तस्वीरें मोहक हैं.....
PK
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