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Saturday, March 24, 2012

दो भाइयों के अनन्य प्रेम और विश्वास की अमिट धरोहर .....

संपादक की कलम से .....

                                                      कहने को इसे कविता कहेंगे पर यह उससे कहीं अधिक है ... दो भाइयों के अनन्य प्रेम और विश्वास की अमिट धरोहर की बानगी है यह ! दो भाइयों के कुछ कहे और उससे कहीं ज्यादा अनकहे भावों का निर्मल और द्रवित कर देने वाला एहसास है यह ! 
                                                    आप यकीं नहीं कर पायेंगे की मेरी आँखों ने इस मंज़र की कल्पना की है और मैं अन्दर तक भीग गया हूँ ... भाइयों के सच्चे प्रेम के आगे इस दुनिया के बाकी सारे मंज़र फीके और निहायत  बौने हैं ! मैं द्रवित ह्रदय से एक गौरव का भी अनुभव कर रहा हूँ की जहाँ आज के इस क्षुद्र स्वार्थी युग में लोगों ने रिश्तों को मजाक और एक मतलब भर की दूकान बना कर रख दिया है सिंह सदन ने भाइयों के प्रेम और अटूट शक्ति की प्राचीन अमर कथा को आज के इस जटिल युग में पुनः जीवंत कर दिया है !
                                                  ऐसी महान गाथाएं और उसके नायक इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम स्थान पाते हैं ! हमें गर्व है की हम ऐसे दो यशस्वी नायकों के साथ जीवन जी रहे है .. ईश्वर इनका प्रेम और स्नेह और बढ़ाये .
           ...........और आपको छोड़ जाते हैं इस आँखें नाम कर देने वाली भावुक रचना के साथ... जिसे दिल से महसूस करने की जरुरत है .... सस्नेह .. आपका ...
                                                                   ------ पंकज के .सिंह (संपादक )


मेरे प्रिय छोटे भाई श्यामू .......
 


२३ मार्च
नवरात्री का वो पहला दिन
सुबह के ५ बजे
तुम कह रहे थे
क़ि मै जा रहा हूँ
सुबह की ताजगी पर
वो पल बहुत बोझिल था
ठण्ड से सिकुड़ती वो हवा
बाइक पर हम और तुम मायूस से
तुम नजरें चुराते हुए
मुझसे कुछ छुपा रहे थे
जब मैंने ख़ामोशी
तोड़ते  हुए   पूछा
अब  कब आओगे .....
मानो पतझड़ के मौसम में
अंधी  आ गयी  हो
और मन के सारे पत्ते
झर- झर कर  नेचे गिर गए हो
और तुमने नव पल्लवित
निर्मल मन से
बिना किसी झूठी तस्सली के
भारी  आवाज में
सिर्फ इतना ही कहा था
भैया जब  ट्रेनिग पूरी होगी ....!

(लखनऊ ट्रेनिग पूरी होने के दौरान अपने प्रिय छोटे भाई श्यामू से बिछड़ने...  पर )


"Pushp"

4 comments:

Anonymous said...

Mehsus karne wali chiz hai..hirdesh

PANKAJ K. SINGH said...

I M PROUD OF YOU BOTH PINTU - SHYAMU . BOTH OF YOU ARE THE REAL MODEL OF LOVE ,TRUST , CARING AND BROTHERHOOD IN THIS AGE ...
STANDING OVATION 4 BOTH OF U ...

***** PANKAJ K. SINGH

Pushpendra Singh "Pushp" said...

परम आदरणीय प्यारे भैया
आपके लिए मेरे पास शब्द नहीं है बस इतना ही कहूँगा कि इस नज़म के भाव को आप ही समझ सकते है और मेँ तो कहूँगा मैंने जितना लिखा नहीं उस से अधिक अपने मेरे भाव को समझा है क्योंकि शब्दों कि अपनी सीमाएं होती है और प्यार कि कोई सीमा नहीं होती |
प्रणाम स्वीकारें

Anonymous said...

दिल से दिल की बात हुयी बिन चिट्ठी बिन तार...... जब मन मिलता हो तो सारे बंधन पीछे रह जाते हैं. तुम दोनों का प्यार अटूट रहे, वक्त की आंधी इसे डिगा न पाए यही इच्छा है..... !
एक दूसरे की भावनाओं का सम्मान जहाँ होगा रिश्ते चलते रहेंगे....... तुम दोनों को बहुत बहुत प्यार.

PK