राग दरबार – vol-4
खुशियाँ मनाओ बधाइयाँ गाओ सिंह सदन में राज दुलारा आया है
आज सुबह एक, ईश्वर का उपहार मिला है |
सिंह सदन में नन्हां सा एक फूल खिला है ||
अब खुशियों से सारा आंगन झूम उठा है |
दादी जी के तप जप का फल आज मिला है |
बाबा की खुशियों का तो अनुमान नहीं है|
पुलिस की ड्यूटी है, कोई दुकान नहीं है
बड़े ताऊ जी इलेक्शन में जुटे हुए है |
घर आने की मन ही मन में चाह लिए है ||
"अंजू "ताई जी , ममता का सागर है |
घर आने को वे तो बिल्कुल आतुर है ||
छोटे ताऊ की खुशियों का पार नहीं है |
उनके लिए इससे बढ़कर उपहार नहीं है ||
रत्न" ताऊ जी घर का भार संभाले है |
दौड़ रहे है खुशियाँ में मतवाले है ||
श्यामू चाचा की क्या व्यथा तुम्हें बताएं |
ट्रेनिंग की मज़बूरी है वरना आजाएँ ||
बुआ तुम्हारी खुशियों में नाच रहीं है |
चलने को मुहताज है लेकिन दौड़ रहीं है ||
नीलम ताई की अभिलाषा पूर्ण हुई है |
सिंह सदन में खुशियों की बौछार हुई है ||
ह्रदेश प्रिया भी को है सौ सौ बार बधाई |
शेरू को भी जिसने भाई को आवाज लगाई ||
परनानी की खुशियों को महसूस करोगे |
नन्हें हाथों से जब उनके गाल छुओगे ||
जिया पिताजी तो खुशियों में ऐसे दोडे |
सचिन सहित सब सिंघम के है सीने चौड़े ||
इशिका लीची अक्षत के तुम भाई प्यारे |
दिलीप और संदीप के तुम आँखों के तारे ||
नेहा बिटिया चिंटू बिट्टू झूमे गाएँ |
गौरी अंशू निक्की कौशल दौड़े आएँ ||
उषा गीता बाला भारती लें बलाएँ |
बबलू रिंकू रवि सुजाता सब मिलकर त्यौहार मनाएं ||
राकेश विमलेश ज्ञान सिंह जी फूफा आएँ |
कोई ठण्ड में पड़े हुए है कोई बसंत की मौज मनाएं ||
नानी नाना मन ही मन हर्षाये है |
मौसी मौसा खेल खिलोने लाए है ||
आने जाने वालों के, घर लगे है तांते |
गहरे रंगे है सिंह सदन के रिश्ते नाते ||
हम सब भेज रहे है आशीर्वाद ये प्यारे |
इतने ऊँचे उठो क़ि छूलो चाँद सितारे ||
Pushp
11 comments:
super giri jo aapne dikhayi hai
aaj wo sabse super ban padi hai
kamaal ka likha hai
is kavita ne mann har liya
gajab ka vardan kiya hai
kya gajab panktiyon ko joda hai
aise hi sunder rachna ki umeed aap se thi
nabskaar
shyamkant
भैया
आपने कितने प्यार से अपनी ख़ुशी का इजहार
किया है .....
आपकी रचनाओं का भी जबाब नही ........
आपको धन्यवाद और नन्हे युवराज को स्नेह ...
आये युवराज, हम टकटकी लगाये बैठे थे...
जब नही थे वो,तब भी अंखियों में रहते थे ...
GREAT POEM WITH LOT OF LOVE.. AFFECTION & BLESSINGS..
WELL DONE MY PINTU .. I AM PROUD OF YOU ...
***** PANKAJ K. SINGH
bitiya ham se accha to tumne likha hai
आये युवराज, हम टकटकी लगाये बैठे थे...
जब नही थे वो,तब भी अंखियों में रहते थे ...
gajab lajabab
pushp
Bhaiya apke is pyar aur samman ke liye mai apka abahri rahunga
lah lah badhaiyan ji badhaiyan
pushp
bahut khub likha he aapne maamaji jis tarha se har ek vyakti ka naam ke saath khusiya vyakt ki he lajabbaab he
wah wah wah mama ji kya kabita likhi hai aapne, jitni taariif karoon utni hi kam lag rahi hai, bahut sundar
*** dilip
सिया तुमने क्या लिखा .
सब का मन है हर लिया.
सचिन कमेन्ट गए भूल.
पहुच गए अस्पताल ऊल.
बड़े भैया हो गए कूल.
श्री और हरी उलीचे धुल.
दादा दादी बरसायें फूल.
शेरा.लीची,इशिका भूल गए स्कूल
किसने भटा के घूंसा त्रिशूल.
यही है इस कविता का असली मूल
भटा जी लगाओ तुम अमूल
dileep
Dear Pintoo
Congrats
अब तक की सबसे दिलकश रचना..... कोई छूटा नहीं था सिवाय तुम्हारे सो तुम पर भी एक शेर
पिंटू ताऊ भी कंप्यूटर पर कविता लिखते हैं
सिंह सदन का नाम रोशन करो, कहते हैं
PK
is ashirvad ke liye
koti koti abahr
apko sat sat naman
पूज्य पिंटू चाचा जी आपने नन्हे युवराज पर बेहद संजीदा
लाइन लिखी है...
सिंह सदन के नन्हे सिंघम का सिंह सदन में स्वागत है....!!
ये और बात है जमीं पर इंसान बनके आया है,
मगर ये नन्ही जान जमीन पर खुदा का साया है ...
जियो मेरे ......सिंघम !!
sachin singh
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