एक नन्ही सी जान है तू ,
माँ मुझे कपडे पहना दो
बहुतों के अरमान है तू ,
ममता की चादर में लिपटा,
सिंह सदन की शान है तू ,
दुनिया की आपा- धांपी से
अभी बिलकुल अनजान है तू ,
आने बाली पीढ़ी की ,
एक नयी पहचान है तू ,
दादी,बुआ,नाना,नानी
सबका बस अब यही है कहना,
तू है मेरा राज दुलारा
नित मेरी आँखों में रहना
उठो युवराज अब आँखें खोलो
एक हमारा हिस्सा है तू
छोटे से इस प्यारे घर का एक नया मेहमान है तू
युवराज की आवाज़ से ......
माँ मुझे कपडे पहना दो
जल्दी मुझे घर जाना है
कितना सुन्दर है मेरा परिवार
अब मैंने ये जाना है
******दिलीप कुमार
5 comments:
bahut khub dileep accha likha
likhate raho
marvelous piece of writing .. love & blessings for you bachche ... yuvraj .. & dilip
***** PANKAJ K. SINGH
दिलीप यार तुम तो कमाल के कवि हो...... बहुत मासूम रचना.... बहुत बहुत प्यार तुम्हे !!!!!!!
PK
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