यह कविता में अपने बड़े भैया "श्री पवन जी " के श्री चरणों में समर्पित कर रहा हूँ | बहुत समय से में ऐसी
कविता लिखने की सोच रहा था | आज यह कविता लिख कर में अपने आप को गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ |
क्योंकि यह कोई कविता नहीं मेरे बड़े भइया की सच्चाई है जिसे मैंने शब्दों में ढालने की कोशिश की है ........
भइया तो ऐसी महान शख्शियत है जिनपर पूरा ग्रन्थ लिखा जा सकता है |
हे कलयुग के अवतार -"पवन"
तुम को करते सौ बार नमन..
यह मैनपुरी बडभागी है
और सिंह सदन भी त्यागी है
जो हुआ यहाँ अवतार "पवन"
..................तुम को करते सौ बार नमन
तुम गृहस्थ भी हो बैरागी हो
तुम महापुरुष हो त्यागी हो
है धर्म का दूजा नाम "पवन"
..................तुम को करते सौ बार नमन
तुम राग द्वेष से दूर खड़े
निज पार न पावें बड़े बड़े
बच्चों सा निर्मल ह्र्दय "पवन"
.................तुम को करते सौ बार नमन
तुम मर्यादा पुरुषोत्तम हो
पुरुषों में सबसे उत्तम हो
है उज्जवल धवल चरित्र "पवन"
................ तुम को करते सौ बार नमन
वे खड़े जहाँ हो जाते है
वहाँ मेले से लग जाते है
करते सब जय जय कार "पवन"
...............तुम को करते सौ बार नमन
तारा है तुमने "सिंह सदन"
तारा है मैनपुरी आंगन
अब तारो तुम यह देश "पवन"
..............तुम को करते सौ बार नमन
रिश्तों को नए आयाम दिए
खुशियाँ बाँटीं और दर्द पिए
तुम रिश्तों के पर्याय "पवन"
.............तुम को करते सौ बार नमन
तुमने जो चाहा पाया है
नाकामी को तरसाया है
तुम अदभुत दिव्य स्वरुप "पवन"
.............तुम को करते सौ बार नमन
आँखों की है चंचल चितवन
मोहित हो जावे निष्ठुर मन
आभारी हूँ उस माता का
जिसने तुमको जन्मा है "पवन"
...........तुम को करते सौ बार नमन
कितने जन्मों के पुण्य फले
इस जनम में तुमसे आन मिले
भटका हूँ जन्मों जन्म "पवन"
............तुम को करते सौ बार नमन
पुष्पेन्द्र सिंह
2 comments:
"आदमी बनना आसां न था...........शेख जी पारसा हो गए......!"
पिंटू यह तो यही बात हुयी......
ठीक से आदमी -आदमी बना रहे यही चुनौती है हम सब के सामने. "अवतार" यह शब्द बहुत भारी है ....यह शब्द मेरे कन्धों से न उठ सकेगा !
अनुजों का स्नेह और अग्रजों का आशीर्वाद साथ है इसलिए सब ठीक ठाक चल रहा है.......दुआ करो कि यह कारवां यूँ ही चलता रहे.....
आभारी हूँ तुम्हारी लेखनी के स्नेह का, जिसने मुझे इतना मान बख्शा.
PK
पिंटू आपके साथ में भैया को नमन करता हूँ
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