बीत गए दिन भजन बिना रे ....
प्रिय सदस्यों ...अब दिल थाम कर बैठ जाइए .. और कान लगा कर सुनिए क्योंकि जो मैं कहने जा रहा हूँ उसे सुन कर अवश्य ही आपके दिलों की धड़कने बढ़ जायेंगी और आप बिना करवटें बदले सो नहीं पायेंगे .. जल्द ही आपके सामने एक - एक कर पेश होने वाला है .. एक - एक सदस्य का रिपोर्ट कार्ड !
एक - एक सदस्य का समय कठोर मूल्यांकन करेगा ! मूल्यांकन हेतु २० मानकों का चयन किया गया है !प्रत्येक मानक पर अधिकतम ५ अंक होंगे ... इस प्रकार कुल १०० अंकों की कसौटी पर आप परखे जायेंगे !
प्रत्येक मानक पर सदस्यों को अंक प्रदान करते हेतु ५ आधार बनाये गए हैं ...
0 खराब(० अंक )
* साधारण (१ अंक )
* * मध्यम (२ अंक )
* * * श्रेष्ठ (३ अंक )
* * * * अतिश्रेष्ठ(४ अंक )
* * * * * असाधारण( ५ अंक )
.... मानक ऐसे होंगे कि आपके पूरे जीवन का लेखा- जोखा ही सामने आ जायेगा !
... मानक कौन से होंगे ... जरा आप खुद ही नज़र डाल लीजिये..
1. व्यक्तित्व
2. रिश्तों में मर्यादा एवं उत्तरदायित्व की भावना
३. जीवन मूल्यों के प्रति आग्रह
४. भौतिक उपलब्धियां
५. लोक जीवन एवं सार्वजनिक छवि
६. स्वास्थ्य एवं अनुशासन
७. जीवन में आध्यात्मिकता एवं चिंतन शीलता
८ . सत्य का अनुश्रवण एवं सत्य का साथ देने की क्षमता
९. जनहित एवं सेवा भावना
१०. आत्मविश्वास एवं प्रतिकूल परिस्थितियों से जूझने की क्षमता
११. निर्विकार एवं निर्दोषता
१२. जिज्ञासु एवं नित नया सीखने की ललक
१३. रचनात्मकता
१४. वाक् निपुणता एवं भाषण शैली
१५ .आत्म द्रष्टि एवं दूरद्रष्टि
१६. साहस एवं निर्भीकता
१७. सिंह सदन के गौरव को बढ़ाने में योगदान
१८. अन्य सदस्यों को प्रेरित करने की नेतृत्व क्षमता
१९. प्रगतिशील द्रष्टिकोण एवं निरंतर प्रगति की ललक
२०. निस्वार्थ एवं कपट रहित जीवन
.....इस प्रकार आप देख सकते हैं कि ये स्वयं में काफीCOMPREHENSIVE TEST REPORT CARD होगा! यदि किसी सदस्य को कोई और मानक बढ़ाना हो जो उपरोक्त के अतिरिक्त हो.... तो तत्काल लिखे !
....कुल मिलाकर ये COMPREHENSIVE TEST REPORT CARD आपके पूरे जीवन का लेखा जोखा पेश करेगा !
..... तो मित्रों जो हमने अब तक बोया है वो काटने का समय आ गया है ! आइना जल्द हमारे सामने होगा ! इसे SPORTING SPIRIT से लेने की जरुरत है !
... ज़िन्दगी ने काफी समय हमें दिया है .... एक इंसान होने के नाते हमारा भी फ़र्ज़ बनता है कि हम एक बार पीछे पलट कर देखें... और गंभीरता से सोचें... कि हमारे कर्म कैसे रहे हैं... हमने कितनी गलतियाँ क़ी हैं... और उनके परिणामों से क्या सीखा है !
... जीवन बड़ी तेजी से आगे गुजर रहा है.... छोटों को सीखने के लिए २० वर्ष क़ी आयु तक का और बड़ों को कुछ करने के लिए अगले २० युवा वर्ष ही मिलते हैं ...और ये सभी बड़ी तेज़ी से कब बीत जाते हैं... पता ही नहीं चलता ! हम पलट कर इमानदारी से देखें तो जानेंगे कि सारा समय बस खाने- पीने, तफरीह बाज़ी, कपट करने और नमक- तेल -रोटी जोड़ने में ही चला गया ! पूरे जीवन भर हमसे पीड़ित कितने ही हमारे ही अपने हमारी ही मौत की प्रतीक्षा करते रहे ... और हमारी मौत पर भी शायद ही कोई रोये !
...हमारे सामने कोई गुरु नहीं है... कोई संत नहीं है ...या यूँ भी कह सकते हैं कि यदि द्रष्टि हो ...तो हर व्यक्ति ही गुरु है.. संत है ..सभी में कुछ न कुछ विशेषताएं हैं !सब कुछ अपने ऊपर है ..अतः अत्त दीपो भव !!
***** PANKAJ K. SINGH
2 comments:
raomanchkari lag raha hai...laazabav idea hai...
बहुत खूब जोरदार पोस्ट
अच्छे विचार
Post a Comment