VOLUME----12
SRI DINESH CHANDRA JI .....
"बे अगर मेहनत और कर्मठता का पर्याय है तो रिश्तों और मान मर्यादा के प्रति गंभीर और सजग भी ....बच्चों के वे सबसे प्रिय बाबा है"
... पुष्पेन्द्र (गीतकार )
उनका पूरा जीवन संघर्ष में ही गुजरा परिस्थितियों का उन्होंने जम कर सामना किया .... और एक लौह पुरुष बन कर उभरे |
...... पंकज के .सिंह ( एडिटर,CPTR-2011,क्रिकेटर एवं फिल्म क्रिटिक )
...आज जिस व्यक्ति को परीक्षा की इस विराट कसौटी से गुजरना है... बे नितांत सज्जन एवं मेहनत के पर्याय है ........जी हाँ में बात कर रहा हूँ... सम्माननीय दिनेश चन्द्र जी की ! इन का सम्पूर्ण जीवन मेहनत की तपिश में कुंदन बन कर निखारा !उनके जैसे कर्मठ व्यक्ति मैंने कम देखे है !
........पुष्पेन्द्र (गीतकार एवं एसोसियेट एडिटर CPTR-2011 )
....बच्चों की शिक्षा पर ध्यान देना उनकी समझदारी का परिचायक है .... उनकी संताने और वे यूरोपियन ब्रीड की नस्ल दीखते भी हैं ...और अपने जोश से साबित भी किया है !
.... पंकज के .सिंह ( एडिटर,CPTR-2011,)
जीवन परिचय ....
.......जन्म के कुछ समय बाद ही उनके पिता ने दूसरी शादी कर ली और उनको और उनकी माँ को उनके हाल पर छोड़ दिया | इन सारी बिपरीत परिस्थितियों के बाबजूद उन्होंने हाई स्कूल तक की पढाई अपनी मेहनत मजदूरी के साथ की और अपने परिवार का भरण पोषण भी किया |
.....उनहोंने मेलों में कागज के सांप बनाकर बेचने का काम शुरू किया ...जो अपने आप में बड़ी कला थी ....फिर वो मेला चाहे भांवत का हो या सगामई का सुमेरपुर का मेदेपुर का या मैनपुरी की नुमाइश ! उनकी इस कला ने खूब जादू बिखेरा ....किन्तु भाग्य उनके साथ आंख मिचोली खेलता रहा | बाज़ार में प्लास्टिक के खिलोने आ गए और ये काम भी बंद सा हो गया .... अब जीविका तो चलानी ही थी सो उन्हों ने विसातखाने (कोस्मेटिक ) का सामान मेले में बेचना शुरू किया .... किन्तु बाजारों का दायरा बढ़ने से मेलों में बिक्री न के बराबर रह गयी | अतः बो भी छोड़ना पड़ा .... लेकिन बे हार नहीं माने .... मेहनत मजदूरी करते रहे |
दिल्ली और अलीगढ में कई फेक्टरियों में काम किया उसके बाद उन्होंने नाई (हेअर ड्रेसर )का काम सीखा ...और जागीर में अपनी दुकान डाली !
अभी वे "लवली हेयर ड्रेसर" के नाम से फेमस है ...और अपना इज्जत के साथ जीवन जी रहे है | वे आज भी उतनी ही मेहनत और लगन के साथ हर काम को करते है | उनके इस पूरे संघर्ष में उनकी पत्नी श्रीमती सरोज देवी ने हर मुश्किल घड़ी में उनका पूरा साथ दिया ! उनके चार बच्चे इन्दू,टिंकू ,रवि एवं सुजाता निहायत सज्जन, शिष्ट एवं आज्ञाकरी है !
...... पंकज के .सिंह ( एडिटर,CPTR-2011,क्रिकेटर एवं फिल्म क्रिटिक )
...आज जिस व्यक्ति को परीक्षा की इस विराट कसौटी से गुजरना है... बे नितांत सज्जन एवं मेहनत के पर्याय है ........जी हाँ में बात कर रहा हूँ... सम्माननीय दिनेश चन्द्र जी की ! इन का सम्पूर्ण जीवन मेहनत की तपिश में कुंदन बन कर निखारा !उनके जैसे कर्मठ व्यक्ति मैंने कम देखे है !
........पुष्पेन्द्र (गीतकार एवं एसोसियेट एडिटर CPTR-2011 )
....बच्चों की शिक्षा पर ध्यान देना उनकी समझदारी का परिचायक है .... उनकी संताने और वे यूरोपियन ब्रीड की नस्ल दीखते भी हैं ...और अपने जोश से साबित भी किया है !
.... पंकज के .सिंह ( एडिटर,CPTR-2011,)
जीवन परिचय ....
.......जन्म के कुछ समय बाद ही उनके पिता ने दूसरी शादी कर ली और उनको और उनकी माँ को उनके हाल पर छोड़ दिया | इन सारी बिपरीत परिस्थितियों के बाबजूद उन्होंने हाई स्कूल तक की पढाई अपनी मेहनत मजदूरी के साथ की और अपने परिवार का भरण पोषण भी किया |
.....उनहोंने मेलों में कागज के सांप बनाकर बेचने का काम शुरू किया ...जो अपने आप में बड़ी कला थी ....फिर वो मेला चाहे भांवत का हो या सगामई का सुमेरपुर का मेदेपुर का या मैनपुरी की नुमाइश ! उनकी इस कला ने खूब जादू बिखेरा ....किन्तु भाग्य उनके साथ आंख मिचोली खेलता रहा | बाज़ार में प्लास्टिक के खिलोने आ गए और ये काम भी बंद सा हो गया .... अब जीविका तो चलानी ही थी सो उन्हों ने विसातखाने (कोस्मेटिक ) का सामान मेले में बेचना शुरू किया .... किन्तु बाजारों का दायरा बढ़ने से मेलों में बिक्री न के बराबर रह गयी | अतः बो भी छोड़ना पड़ा .... लेकिन बे हार नहीं माने .... मेहनत मजदूरी करते रहे |
दिल्ली और अलीगढ में कई फेक्टरियों में काम किया उसके बाद उन्होंने नाई (हेअर ड्रेसर )का काम सीखा ...और जागीर में अपनी दुकान डाली !
अभी वे "लवली हेयर ड्रेसर" के नाम से फेमस है ...और अपना इज्जत के साथ जीवन जी रहे है | वे आज भी उतनी ही मेहनत और लगन के साथ हर काम को करते है | उनके इस पूरे संघर्ष में उनकी पत्नी श्रीमती सरोज देवी ने हर मुश्किल घड़ी में उनका पूरा साथ दिया ! उनके चार बच्चे इन्दू,टिंकू ,रवि एवं सुजाता निहायत सज्जन, शिष्ट एवं आज्ञाकरी है !
..........एसे कर्मठ ,शालीन एवं जुझारू योद्धा को मेरा दिल से सलाम |
COMPREHENSIVE PERSONALITY TEST REPORT CARD OF Sri Dinesh chandra ji ....
COMPREHENSIVE PERSONALITY TEST REPORT CARD OF Sri Dinesh chandra ji ....
- 1. व्यक्तित्व * 1.38
- 2. रिश्तों में मर्यादा एवं उत्तरदायित्व की भावना * * 1.63
- ३. जीवन मूल्यों के प्रति आग्रह * * 1.25
- ४. भौतिक उपलब्धियां * *1.38
- ५. लोक जीवन एवं सार्वजनिक छवि * * 1.38
- ६. स्वास्थ्य एवं अनुशासन * * 1.13
- ७. जीवन में आध्यात्मिकता एवं चिंतन शीलता * 1
- ८ . सत्य का अनुश्रवण एवं सत्य का साथ देने की क्षमता * 1.25
- ९. जनहित एवं सेवा भावना * 1.38
- १०. आत्मविश्वास एवं प्रतिकूल परिस्थितियों से जूझने की क्षमता * * 1.88
- ११. निर्विकार एवं निर्दोषता * * 1.63
- १२. जिज्ञासु एवं नित नया सीखने की ललक * 1.63
- १३. रचनात्मकता * 1.88
- १४. वाक् निपुणता एवं भाषण शैली * 1.13
- १५ .आत्म द्रष्टि एवं दूरद्रष्टि * 1.13
- १६. साहस एवं निर्भीकता * 1.38
- १७. सिंह सदन के गौरव को बढ़ाने में योगदान * 1
- १८. अन्य सदस्यों को प्रेरित करने की नेतृत्व क्षमता * 1
- १९. प्रगतिशील द्रष्टिकोण एवं निरंतर प्रगति की ललक * 1.13
- २०. निस्वार्थ एवं कपट रहित जीवन * 1.38
TOTAL SCORE IS .... 26.95
STATUS REPORT ...कर्मठ मेहनती संघर्षशील व्यक्ति , HAIR DRESSING जैसे नवीन क्षेत्र में छाप छोड़कर सिंह सदन को गौरवान्वित किया है !
CADRE.... प्रगतिवादी !
MODEL... EKLAVYA, NAL-NEEL ,
* * * * * PANKAJ K. SINGH - PUSHPENDRA SINGH
2 comments:
परम आदरणीय भैया
वाह बहुत खूब ........
अच्छा रिपोर्ट कार्ड तैयार किया है
बे निश्चित तौर पर सिंह सदन के लौह पुरुष है
ऐसे महान व्यक्ति को मेरा दिली प्रणाम
मामा दिनेश जी वास्तव में बहुत कर्मठ और प्रगतिगामी हैं....... मुझे तो उनकी शादी में भी जाने का सौभाग्य प्राप्त है..... आज भी आँखों के सामने उनकी शादी का वो वाकया तैर जाता है...... लालटेन की
मद्धम रोशनी में टाट पर बैठकर उनकी ससुराल 'बिस्सिंगपुरा' में हमने पांत में बैठकर दावत का आनंद लिया और पड़कर सो गए. आधी रात के बाद अचानक शोर की वज़ह से आँख खुली तो पता चला कि हमारे सोने और जागने इन चन्द घंटों के बीच हमारे ही एक जानने वाले ' गोविन्द ' ( अरे वही धर्मेन्द्र के चाचा ) को पागलपन का दौरा पड़ा था और उनकी ऊटपटांग हरकतों से बचने के लिए उन्हें रस्सियों से बाँध दिया गया था और वे बंधी रस्सियों के बीच निकलने कि जद्दोजहद में चिल्ला रहे थे......! खैर दिनेश मामा उन शख्सियतों में से हैं जो कभी गलतफहमियों के शिकार नहीं हुए........ हम सब से मित्रवत रिश्ते बनाये रखते हुए जीवन को जिया...... रामलीला में उनकी संवाद अदायगी कि छाप मेरे जेह्न में अभी भी जस की तस है........ उनके जीवन जीने की शैली को सम्मान !!!!!!!!
PK
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