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Friday, April 13, 2012

राग दरबार- vol-7


हम लिखेंगे भारत की 
एक नई कहानी
जहाँ विविधता ने कर
रक्खी है मनमानी |

एक तरफ तो चाँद और सूरज
की है बातें
एक तरफ काटे है 
भूखे बच्चे रातें |

सड़ते है खाद्यान
यहाँ की गोदामों में
रोटी की  खातिर है
बंदूकें हाथों में |

हलधर है खामोश उसे
कुछ समझ न आता
बेटी होती बड़ी देख
फंसी  चढ़ जाता |

भाग रहे है छोड़ छोड़
सब आंगन अपना
टूट रहा है, बापू के
गाँवों का सपना |

और भारत का भविष्य
फुटपाथ पे रोटी ढूढ रहा है
चलने को मुहताज है
फिर भी रेंग रहा है |

और चलेगा कबतक,
देश भगवान भरोसे
जूस पी  रहे नेता जी
संसद में बैठे |

लोक तंत्र की उड़ा रहे
हंस हंस कर खिल्ली
मूरख जनता ने भेजा
हम को है दिल्ली |

3 comments:

Anonymous said...

bahut khub...hirdesh

PANKAJ K. SINGH said...

just incredible ... no one is like you ...my dear pintu .. you have win my heart ..
******* PANKAJ K. SINGH

Anonymous said...

dear pintu
एक तरफ तो चाँद और सूरज
की है बातें
एक तरफ काटे है
भूखे बच्चे रातें |
..... क्या सच बयानी है. बहुत ही उम्दा गीत.....

PK