भोले भाले लोग यहाँ के
भोली इनकी भाषा है
सात समंदर पी लेने की
छोटी सी अभिलाषा है |
हाथों में है चार किताबें
क़दमों में दुनियादारी
पत्थर से टकरा जाने की
छोटी सी अभिलाषा है |
चले जा रहे अपनी धुन में
आँखों में तूफान लिए
चाँद सितारे छू लेने की
छोटी सी अभिलाषा है |
सीने है फौलाद हमारे
बातों में दीवानापन
नील गगन में उड़ जाने की
छोटी सी अभिलाषा है |
*Pushpendra “Pushp”
3 comments:
बहुत सुंदर
पिंटू
सात समंदर पी लेने की
छोटी सी अभिलाषा है |
क्या उन्वान है गीत का...... एक दम लयबद्ध और एकदम कथ्य में स्पष्ट !!!!! तुम ऐसे ही लिखते रहो , इच्छित सफलता अवश्य मिलेगी.
PK
tum bahut achhe lekhak ho beta, tum bahut bade lekhak bno beta, aur bhi achha likhte raho tum ye meri abhilasha hai,
buaa ji
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