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Saturday, April 28, 2012

ज हाज़िर है महफ़िल की नई कड़ी....... आज हाज़िर हैं हम , अपने ब्लॉग के उप सम्पादक और उदीयमान गीतकार/ शायर पुष्पेन्द्र पुष्प के प्रिय गीत को लेकर.  पुष्पेन्द्र  सिंह उन गीतों को पसंद करते हैं जिनमे संवेदनशीलता हो...... शायद इसीलिए  जगजीत सिंह की गयी ग़ज़लों को वे बेहद पसंद करते हैं. लता जी के पुराने गीत वे गुनगुनाते रहते हैं. कुमार शानू और हरिहरन उनके प्रिय गायक हैं. गीतकारों में गुलज़ार साहब और जावेद अख्तर को पढना सुनना उनका शगल है.


आज उनके संगीत प्रेम की चर्चा में उनके  प्रिय गीत पर नज़र डालते हैं. उन्हें यूँ तो कई गाने-ग़ज़लें पसंद हैं मसलन...... चिट्ठी न कोई सन्देश, जगजीत सिंह की ग़ज़ल कोई फ़रियाद दिल में उठी हो जैसे..... इत्यादि . मगर उनके सर्वाधिक प्रिय गीत की बात करें तो वो है.......निर्देशक जे पी दत्ता  की फिल्म 'रिफ्यूजी' (2000) का. गाने के बोल हैं "पंछी  नदिया पवन के झोंके, कोई सरहद  न इन्हें रोके........" . इस गीत को सोनू निगम और अलका याग्निक ने गाया था. लिखा था जावेद अख्तर साहब ने और संगीत था अनु मालिक का. इस गीत के बोल वाकई बहुत खूबसूरत हैं..... गीतकार ने प्रकृति के प्रतीकों  के माध्यम से दो भौगोलिक सीमाओं के बीच के रिश्तों को समझाने का प्रयास किया है. यह गीत बहुत ही मार्मिक- भावनात्मक- और सन्देश प्रद है. इस गीत  को बहुत प्रसिद्धि मिली........  श्रेष्ठ संगीतकार और गीतकार का राष्ट्रीय पुरूस्कार मिला. इस गीत को 2001 का बेस्ट मेल और फीमेल सिंगर का फिल्मफेयर का अवार्ड मिला. जावेद अख्तर को इस गीत के लिए फिल्मफेयर अवार्ड मिला. 

आइये गुनगुनाते हैं इस गीत  को.......

"यह गीत अपने कर्णप्रिय संगीत....मधुर  गायकी और अर्थपूर्ण बोलों के लिए हमेशा सुना जाता रहेगा"------- पुष्पेन्द्र पुष्प 


***** PK

2 comments:

Anonymous said...

bahut hi sundra hai mahfil ka ye silsila
uttam lekhan ke sath ...
dhanyavad...

pushp

Anonymous said...

thanks babu....

PK