अभी हाल ही में ११ फरवरी को
सिंह सदन के आंगन में एक भव्य
समारोह का आयोजन हुआ !
यह आयोजन हमारे छोटे भाई ह्रदेश की शादी थी शादी का जश्न
कुछ एसे मनाया गया किये एक यादगार शादी बन गयी जैसे ही शादी की डेट फ़ाइनल हुई सभी रिश्तेदरो में मनो बहार आगयी हो हर तरफ ख़ुशी का माहौल और तैयारियों का सिलसिला चरम पर था शादी की बागडोर संभाली हमारे आदरणीय बड़े भैया पवन जी ने जो लाखों व्यस्तताएं होने के बाबजूद भी एक हफ्ते पहले घर पहुंचे और शादी का पूरा प्रारूप तैयार किया हर छोटी से छोटी चीज़ का उन्होंने ध्यान रखा और अपने सुपरवीजन में युवाओं की एक मजबूत टीम तैयार की और सब को अपने अपने कम बाँट दिए गए
बड़े भइया के बारे में क्या कहूँ - में समझता हूँ की उनसे अच्छा काम कोई कर ही नहीं सकता चाहे वह किसी तरह का हो
अगर मुझसे पूछा जाये तो उनसे ज्यादा बुद्धिजीवी उनसे ज्यादा अच्छा इन्सान में किसी को नहीं समझता भइया जब हमारे साथ होते है तो लगता ही नहीं की वे इस देश के बेहतरीन -आई.ए.एस. आफीसर है........... एसा लगता है जैसे बचपन में भैया के साथ शरारत किया करते थे क्रिकेट खेला करते थे पानी के बतासे खाने देवीरोड सोहन के यहाँ जाते थे आज भी वैसा ही है शहर बदल गया मगर
भैया नहीं बदले ..........आज भी अपने भाईयों पर जान छिड़कते है .....................
खैर मै विषय पर आता हूँ भैया की इस टीम में श्यामू ,संदीप ,दिलीप, टिंकू, चिंटू, , आदि मुख्या भूमिका में थे
सभी ने भैया की तत्वावधान में काम करना अपना सौभग्य समझा और दिलो जान से काम किया
भैया जब भी कोई काम करते है तो उसमे कमी का सवाल ही पैदा नहीं होता शादी के पहले महिला संगीत का आयोजन बहुत भब्यता से हुआ जो भी महिलाये महिला संगीत में आयीं उन्होंने
कहा की इस तरह का महिला संगीत मैने पहली बार देखा है
हर प्रोग्राम में नया पन था महिला संगीत के बाद जो पुरुष संगीत का कार्यक्रम हुआ तो मजा ही आगया
रात्रि कब कट जाती थी पता ही नहीं चलता दिन में फिर उसी उत्साह से काम ......!
हमारे यहाँ बड़ी धूम धाम से एक रश्म होती है भात की ...........भात दरसल एक सम्मान होता है जो मान पक्ष को दिया जाता है इस बार भात की रश्म यादगार बन गयी जिस का श्रेय जाता है हमारे बड़े भैया के ससुर साहब माननीय संत साहब को
इस तरह की भात की रश्म मैने क्या जिसने भी देखा यही कहा एसा पहली बार देखा है .....
यूंतो भात सिर्फ दामाद और बेटी के लिए होता है मगर संत साहब इतने सामाजिक इन्सान है जिसका वर्णन यंहां
नहीं किया जा सकता ...... उन्हों ने भैया से पहले पूरे परिवार को ही नहीं वल्कि सारे रिश्तेदरों को भात पहनाया
और इतने सम्मान से जैसे उन्हें सब का सम्मान करने में फक्र महसूस हो रहा हो देखने वालों ने तो यंहां तक कहा
की एसा भात या तो .....नरसी ने पहनाया था या संत साहब ने
संत साहब के बारे में मै संक्षेप मै बताना चाहूँगा वे सेवानिवृत आई .ए. एस आफ़िसर है और वे और उनके पुत्र राजेश भैया
बहुत ही सामाजिक इन्सान है किसी भी कार्यक्रम मे हजारों व्यस्तताओं के बाबजूद बढ चढ़ कर भाग लेते है बहुत ही महान इन्सान है
हमारा पूरा परिवार उनका बहुत सम्मान करता है
"ऐसे महान संत साहब को मै प्रणाम करता हूँ"
आज वो दिन आही गया जिसका दुल्हे को इंतजार था सभी रिश्तेदार पहुँच चुके थे
बारात की तैयारी जोर शोर से चल रही थी भैया हर एक चीज को दौड़ दौड़ कर से स्वेम देख रहे थे ताकि कहीं कोई कमी न रह जाये देश का कोई भी कोना एसा नहीं था जहाँ से लोग न आये हों
सभी छोटे बड़ों का स्वागत भैया आप ही कर रहे थे बारात जब सज कर निकली तो सबसे पहले तैयार हुए हमारे सिंह सदन के आइकॉन .........
हमसब के प्यारे भैया मिस्टर स्मार्ट पंकज सिंह ................उन्हें देखते तो एसा लगरहा था कि कहीं उन्हें किसी की नजर न लगजाये सब की नजरें उनपर थी ६ फिट की हाईट और गजब की पर्सनालिटी वहीँ हमारा छोटा भाई हम सभी भाइयों का प्यारा आज्ञाकरी, बुद्दिमान, बहुमुखी प्रतिभा का धनी ........श्याम कान्त
तो एसा लगरहा था कि पूछो मत बेहद सुन्दर ...................
मगर इन सब से अलग हमारे बड़े भैया ......को तो देखते ही बन रहा था जैसे उन्हें सजने की जरुरत ही न हो बिलकुल सरल अंदाज चेहरे पर इतना तेज़
जिसे देख कर किसी की भी नजर फिसल सकती थी ..............मगर हमारी भाभी भी जी
3 comments:
प्रिय पुष्प ...
विवाह का बेहद दिलचस्प वर्णन किया आपने .... यादगार लम्हों की ओर पुन: ले चलने के लिए शुक्रिया !
हृदेश और प्रिया सिंह सदन की गरिमा और ख़ूबसूरती में और चार - चाँद लगायें ..... ऐसी मेरी आकांछा ... और ऐसा ही मेरा आशीर्वाद है ..... ईश्वर दोनों को जीवन की तमाम खुशियाँ दे ... !
सप्रेम ..... पंकज के. सिंह
पिंटू आपने खूब लिखा.सच में ये महोत्सव की तरह आयोजित की गयी.इस मामले में प्रिया और मैं वाकई में खुशकिस्मत हैं.बड़े भैया के बारे में जितना कहा जाये कम ही है.अब तो वे इस सब से बहुत ऊँचे उठ चुके हैं.शादी में ख़ुशी का रंग भरने और इसे यादगार बनाने का कम भैया ने ही किया.जीजा.दीदी.बबलू भैया.प्रमोद भैया.दीदी.दलीप.संदीप.बिट्टू.चिंटू.बिटिया.इशी.लीची.गौरी.लक्ष्मी.सभी ने इस शादी को यादगार के साथ एतिहासिक भी बना दिया.....पंकज भैया के चहरे पर बर्षों बाद इतनी ख़ुशी देख कर बस प्रिया और में यही प्रार्थना करते हैं कि सिंह सदन और इससे जुड़े हर शख्स को इश्वर हमेशा खुश रखे.
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