...अभी हाल में मैनपुरी गया तो देश के एक बेहतरीन उभरते हुए शायर से मुलाकात हो गयी ! वह युवा भी हैं ... और आदर्शवादी भी ! ..जोशीले भी हैं ...और जिज्ञाशु भी ! ...प्रतिभाशाली भी हैं ..और भावुक भी !
.....फिलहाल उनके द्वारा पेश चंद लाइने हाज़िर कर रहा हूँ.... उनकी शख्शियत से आपका तार्रुफ़ अगली पोस्ट में कराऊंगा..
''.. यह हो ही नहीं सकता... कि मैं तुझे ना छेड़ूं,
ऐ मौत ... तुझे भौजाई बना रखा है !!
*****PANKAJ K. SINGH
3 comments:
जल्दी लिखो....इंतजार नहीं होता
bahut khub bhaiya
ese mahan shyar se jara jaldi tarruf karaiye shbr nahi hota
jisne itna gajab ka sher likha hai
ap ko sadar parnam
प्रिय पंकज
जिस बन्दे ने शेर लिखा है उसे तो सलाम है ही...... ढूंढ निकालने के लिए आपको भी. वैसे शेर में दम है...... तार्र्रुफ़ भी कराओ इस शायर का. इन्तिज़ार है शिद्दत से इस रचनाकार का.
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