........ वे एक '' महान '' महिला हैं ... और '' स्त्रियोचित '' गुणों से परिपूर्ण हैं ...... उनकी आखों में '' संवेदन शीलता है '' ........ और वे '' सत्य '' का अनुशरण करती हैं ..... उनका ह्रदय '' निर्मल '' है और उनके व्यव्हार में मुझे कभी कोई बनावट ... कभी कोई आडम्बर नहीं दिखा .....!
............... यहाँ मैं आपका तार्रुफ़ करा रहा हूँ .... इस युग की .... एक ऐसी '' श्रेष्ठतम स्त्री '' का .....जिसे मैं हर मायने में '' आदर्श '' मानता हूँ ..... ये हैं ..... हमारी पूज्य '' भाभी श्री '' ...... श्रीमती अंजू सिंह !
जब मैंने नैनीताल की हसीन वादिओं में ... उन्हें पहली बार देखा था तो मुझे वे .... एक शांत , निर्मल , ममतायुक्त नदी की तरह लगी थीं ...... मुझे ख़ुशी है कि हमने उन्हें अपनी '' भाभी माँ '' के रूप में पाया है ! वे भैया की '' आदर्श अर्धांगिनी '' और '' हमराह '' सिद्ध हुयी हैं ! '' सिंह सदन '' और .... उसके तमाम विस्तार पटलों में ... उनकी '' असीम लोकप्रियता '' सिद्ध है ..... प्रमाणित है .... !
........'' माँ '' के लिए अगर वे '' करोड़ों में एक '' बहू हैं ..... तो हम छोटे भाइयों के लिए वे एक '' शानदार भाभी '' हैं .... जिनमे माँ और बहन के अंश " प्रचुर मात्र " में उपलब्ध हैं .... वे जहाँ एक ओर ... '' सनातन संस्कृति '' , '' महान पारिवारिक मूल्यों '' और समाज की '' आदर्श परम्पराओं '' का पालन करने वाली .......... '' धर्मनिष्ठ पारिवारिक महिला '' हैं .... वहीँ आवश्यक और अपेच्छित आधुनिक ज्ञान , विज्ञानं , तकनीकों और प्रशासन की भी जानकार हैं .... ! कला ... संस्कृति ... समाज ... साहित्य ..... सिनेमा .... संगीत .... फैशन .... हर विषय पर मेरे और भाभी के विचार काफी मिलते हैं और ..... इन तमाम विषयों पर '' सिंह सदन ''... में बेहद '' रोचक परिचर्चा '' लगातार होती ही रहती है !
बच्चों के लिए वे स्नेह वर्षा करने वाली .... '' ममतामयी माँ '' भी हैं ... और एक '' बेहतरीन शिछिका '' भी ......! सभी पारिवारिक आयोजनों , शादी - विवाहों , पर्वों - त्योहारों में वे हम भाईओं के साथ वे बढ चड़कर हिस्सा लेती हैं .... और पूरा आनंद उठाती हैं !
आज की .... '' साधारण महिलाओं '' से .. वे सर्वथा भिन्न हैं ....... उनमे '' असीम उर्जा '' है ...... घर - परिवार को जोड़ने वाली वे '' मजबूत कड़ी '' हैं .......वे काम - काज से न कभी थकती हैं और न ही भागती हैं ... वे '' बड़ों '' को भरपूर मान - सम्मान ..... और '' छोटों '' को अतुलनीय प्रेम और स्नेह देना बखूबी जानती हैं ...... मेरा अनुभव है कि उन्हें ये सारे गुण प्रकृति द्वारा '' नैसर्गिक '' रूप से प्राप्त हैं ...!
मुझे भाभी नैतिक मूल्यों से परिपूर्ण ...... एक '' आध्यात्मिक '' और '' आत्मसिद्ध स्त्री '' लगती हैं ...... उन्हें जीवन के .. '' सत्य का बोध '' है .... इसलिए वे '' आडम्बर विहीन '' हैं वे सदैव " प्रसन्न चित्त " रहती हैं ...और जीवन के हर गुजर रहे क्षण को भरपूर जी लेना चाहती हैं .... वे निहायत ही संवेदन शील हैं ...... और उन्होंने कभी किसी का दिल दुखाना तो दूर ...... किसी से आज तक ऊंची आवाज़ में बात भी नहीं की है ..! गरीबों ......अपने से छोटों ....... अधीनस्थ कर्मचारिओं ...... के प्रति उनकी हमदर्दी ...... और संवेदना ने मेरी रूह पर अदभुत असर डाला है ....... और उनके इस नैसर्गिक महान गुण से मैं कितना प्रभावित हूँ ....... बता नहीं सकता ........ वे सभी की मदद को सदैव तत्पर रहती हैं ........ वे निश्चय ही ही एक ... '' आदर्श भारतीय नारी '' के रूप की इस युग की श्रेष्ठतम प्रतिक हैं !
...... मुझे याद है जब भैया - भाभी का विवाह हुआ था ..... तो दोनों ही २२ -२३ साल की अल्प अवस्था के युवा थे ...... तथापि इस '' युगल '' ने छोटी वैवाहिक उम्र से ही बेहद अनुकर्णीय ...... जिम्मेदार ..... गरिमा पूर्ण ...... आचरण से '' सिंह सदन '' के गौरव और प्रतिष्ठा को नितांत नए और बड़े विस्तृत आयाम दिए हैं ..... यही कारण है कि नई युवा और कमसिन पीढ़ी ..... इस शानदार युगल की '' सहज प्रशंसक '' बनी हुयी है ....... लाखों लोगो की दुआएं इनके साथ हैं !
.....इतने वर्षों में ...... हमे कभी लगा ही नहीं और उन्होंने भी कभी अहसास नहीं होने दिया .... कि वे एक '' दूसरे '' परिवार से आयी हैं .........हमे वे इतनी '' अपनी '' लगती हैं ..... वे इस कदर हमारे साथ घुल मिल गयीं हैं कि लगता है ........ वे जन्मों से हमारे ही साथ हैं ....... और शायद हो भी ........ !
उच्च शिक्षा प्राप्त ....... एक कामकाजी ..... प्रशासनिक अधिकारी होने ... तथा ताकतवर पारिवारिक प्रष्ठभूमि होने के बावजूद ....... वे किसी भी प्रकार के "अहं- भाव" से सर्वथा मुक्त हैं ......और एक "अच्छा इंसान" होने को ही "सार्वाधिक महत्वपूर्ण" मानती हैं ....... वे '' विनोदी स्वभाव '' की भी हैं और उनका '' सेंस ऑफ़ ह्यूमर '' लाज़वाब है ....... हम सब जब साथ बैठते हैं ...... तो '' लाफ्टर '' की नदियाँ बह उठती हैं ....... उन " अनमोल " क्षणों के आनंद का वर्णन नहीं किया जा सकता है ......... उस " असीम आनंद " का केवल अनुभव ही किया जा सकता है ! भाभी को देखकर ..... बरबस ही ..... पचास के दशक की ....... सदाबहार '' गीता बाली '' ........ और साठ के दशक की ..... संवेदनशील अभिनेत्री '' माला सिन्हा '' का अक्श उभरता है ..... वही सलीका .... वही नफासत ..... वही मासूमियत .... और वही संवेदना .. !
...... भाभी एक '' सम्पूर्ण स्त्री '' हैं ..... स्त्री के हर रूप की वे '' आदर्श मिसाल '' हैं ......... वे शब्दों के मायनों को समझती हैं और एक - एक शब्द "नाप - तौल" कर बोलती हैं ...... इस '' कठोर अनुशासन '' के साथ भी वे अपनी '' स्वाभाविक सहजता '' को कभी नहीं त्यागतीं ..... भाभी हर रूप में श्रेष्ठ हैं ..... ऐसी गौरव शाली महिला को अपनी भाभी के रूप में पाकर हम हर्षित हैं ...... गौरवान्वित हैं ....... प्रकृति और ईश्वर को ...... कोटि कोटि धन्यवाद् कि उसने हमारे लिए एक '' ममतामयी '' भाभी बनायीं ...... परिवार कि एक .... '' बेहद मजबूत कड़ी '' .... को '' सिंह सदन '' का नमन .. ! !
* * * * * PANKAJ K. SINGH
2 comments:
भैया बहुत ही सुन्दर लिखा आपने
भाभी के बारे में क्या कहूँ उन्होंने हर रिश्ते को बड़ी ही
सादगी से जिया है - चाहे वहू का धर्म हो या एक माँ का
वे इस सिंह सदन की गरिमा है|
और हम सभी देवरों की प्यारी भाभी ........................
एसा लगता है जैसे भइया और और भाभी एक दूसरे के लिए ही बने है |
मै परम पूज्य भइया और भाभी को चरण वंदन करता हूँ अभिनन्दन करता हूँ ...............
पंकज.......
भाई तुम्हारे आलेख के बाद मैं कह सकता हूँ कि तुम अपनी लेखनी से किसी ज़र्रे को भी कुहसार का दर्ज़ा दे सकते हो........सिंह सदन की गरिमा को बरकरार रखने के लिए हम सब प्रतिबद्ध हैं......सिंह सदन के एक सदस्य के रूप में अंजू ने निश्चित ही अपनी भूमिका निभाने की जो प्रतिबद्धता दिखाई है ,वो वांछनीय तो है ही धर्मनिष्ठ कर्तव्य भी. ज्यादा तारीफ नहीं करूंगा, अंजू के कर्तव्यों में आगे कोई कमी न आने पाए.....इन्ही दुआओं के साथ!
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