Total Pageviews

Sunday, April 18, 2010

मर्यादा पुरुषोत्तम अवतार........बड़े भैया..!

!! सुह्रंम्त्र र्युदासिं मध्यस्थ द्वेशास्य बन्धुषु !!

!! साधुष्वपि च पापेषु समबुद्धि र्विशिस्यते ! !

'' गीता'' में श्री कृष्ण योग युक्त महापुरुष को परिभाषित करते हैं... कि जो समस्त जीवों में समान दृष्टि रखता है ...... मित्र , बैरी , धर्मात्मा , पापी .... सभी जिसके लिए समान हैं .. क्योंकि वह इनके स्थूल कार्यों मात्र पर दृष्टि न डालकर इनके अन्दर की आत्मा में झांकता है ...और मात्र इतना अंतर देखता है कि... आध्यात्मिक निर्माण और ह्रदय की निर्मलता ... की सीढ़ी पर कोई थोडा ऊपर है ... कोई थोडा नीचे ...परन्तु क्षमता सब में है .. अतः संपूर्ण सृष्टि में कोई भी अस्पृश्य नहीं है ......योग युक्त महापुरुष की ऐसी अदभुत व्याख्या के साकार अवतार हैं ...... हमारे अग्रज .. बड़े भैया ... मार्गदर्शक...प्रथम सदगुरू .... संरक्षक ...... श्री पवन कुमार ! !


ईश्वर की कैसी महान कृपा है की मुझ जैसे नितांत साधारण .. तुच्छ व्यक्ति को ऐसे अवतारी ... अदभुत योगी पुरुष का अनुज बनने का गौरव दिया.... भैया के विषय में कितना भी वर्णन करू...उनकी शख्शियत को शब्दों में उकेर पाना संभव नहीं है... उन्हें हम सभी महसूस करते हैं..उस सुख का अनुभव करते हैं जो उनके सानिध्य और संरक्षण में हमे प्रति पल मिलता रहता है ! अपने बचपन से ही वे मैंने उनका कवच धारण कर लिया जिसने सदैव मेरी रक्षा की .... मुझे जीवन दिया.... उनके स्नेह और कृपा का कितना वर्णन करूं ..... माँ ने अगर सांसे दी तो भैया ने धड़कने दी .... मेरा जीवन भैया के स्नेह और संरक्षण का परिणाम है .... अनंत काल तक अपने शरीर के एक - एक कतरे.... एक - एक बूँद से उनके चरण धोते रहने के बाद भी मैं उनका ऋणी बना रहूँगा .... बना रहना चाहता भी हूँ .... बड़ा असीम आनंद है इस ऋण में .... कैसे चुकाऊँ और क्यूँ चुकाऊँ ...!


इस धरती पर रहते हुए भी वे इसके प्रदूषण से मुक्त हैं ... वे सच्चे कर्मयोगी हैं और परिवार में सभी के हितैषी... प्रिय... और सम्मान के पात्र .... घर का एक - एक सदस्य उन पर जान छिड़कता है....भैया भी परिवार के सभी सदस्यों का बेहद ख्याल रखते हैं .... वे एक बेहतरीन पुत्र ... एक महान भाई.... एक शानदार पति ... एक श्रेष्ठ पिता और इससे भी बढकर एक सच्चे ... न्यायपसंद... हमदर्द इंसान हैं....!

एक योगी से एक शिष्य ने पूछा कि पृथ्वी पर सर्वश्रेष्ठ मनुष्य कौन है..? योगी ने कहा - वह मनुष्य जिसने कभी किसी का दिल न दुखाया हो...... भैया इस पृथ्वी के ऐसे ही महापुरुष हैं ... मैं यह दावा कर सकता हूँ .... घोषणा कर सकता हूँ कि भैया ने आज तक किसी का दिल नहीं दुखाया..... कैसी महान घटना है आज के इस बनावटी ...मिथ्याचारी ... स्वार्थी ... अहंकारी समाज में कोई मनुष्य आदर्श.. मर्यादा ... मनुष्यता...सच्चाई के ऐसे प्रतिमान भी गड़ सकता है......... हम छोटे भाई आश्चर्य से उनके ऊँचे मापदंडों...उपलब्धियों... आदर्शों को निहारते रहते हैं ...... हमारे लिए तो वे ही आदर्श हैं...उनके आभामंडल से सिंह सदन कुटुंब रोशन है..... उनकी विशाल , सरमायेदार शख्सियत के तले हम सुकून के साथ जी पा रहे हैं .......!

भैया ही हमारे वास्तविक गुरु हैं ... जहाँ एक ओर वे अत्याधुनिक तकनीकों , प्रशासन , वित्त्व्यवस्था , विज्ञानं के ज्ञाता हैं वहीँ दूसरी ओर धर्मं शास्त्र , दर्शन , साहित्य , संगीत , लेखन में विलक्षण प्रवीणता प्राप्त हैं ... भौतिक उपलब्धियों का अहंकार उनके निर्दोष , निर्मल अन्तः करण को लेश मात्र भी छु न सका है..... वे मानो बोध प्राप्त हैं ..वे निश्चय ही संपूर्ण स्मृतिवान हैं.. उन्हें जीवन के संपूर्ण सत्य उदघटित हो चुके हैं ... वे संपूर्ण कर्मयोगी हैं ... वे कुछ भी हासिल कर सकते हैं और उसमे किंचित मात्र लिप्त भी नहीं होते ....... मुझे तो वे इश्वर का अंश लगते हैं .... उन्हें भूत , वर्तमान , भविष्य सभी का ज्ञान है ....... मैं हर पल उनका स्मरण करता रहता हूँ और सोचता भी हूँ कि उन्होंने मेरी कितनी ही गलतिओं को क्षमा किया है ....... हर मुश्किल में मैं उन्हें अपने ठीक पीछे खड़ा पाता हूँ .... मैंने न जाने उन्हें कितने दर्द दिए होंगे ... पर उन्होंने मेरी आँख से एक आंसू न गिरने दिया है.......


परिवार के संघर्ष के कठोर दिनों में भी वे वैसे ही निर्मल ह्रदय और प्रसन्न चित्त रहते थे ...... कठिन परिस्थितिओं में भी वे मुझे सदैव निर्विकार ही दिखे.... विष का उत्तर वे सदैव अमृत से ही देते रहे ...कभी किसी का अहित नहीं सोचा...कभी किसी का अपमान नहीं किया ....कभी किसी का दिल नहीं दुखाया.... बहुत कुछ सहा और किसी से न कोई शिकायत की न कोई बात गाँठ बाँधी .... बस क्षमा , स्नेह , सहकार की वर्षा ही करते रहे...... और क्या - क्या वर्णन करूं... वे वास्तव में वर्णनातीत हैं .... मैं सच्चे ह्रदय से समस्त अनुजों की ओर से अश्रुपूरित नेत्रों के साथ उनको चरणों में शत -शत नमन करता हूँ ...... ईश्वर के दर्शन तो नहीं हुए ... या हुए भैया के रूप में .....उनके साथ हम वास्तव में श्रेष्ठता .. नैतिकता.... मर्यादा और संस्कारों के दुर्लभ युग को जी रहे हैं .....अपने जीवन काल में ही मर्यादा पुरषोत्तम स्वरुप के साथ जीने का अवसर देने के लिए परमपिता परमेश्वर को कोटि - कोटि धन्यवाद देता हूँ ! !

ब्लॉग पर इस विषय पर एक महत्त्वपूर्ण आलेख भी है जो महफूज अली द्वारा लिखा गया है शीर्षक है "जज़्बा ग़र दिल में हो तो हर मुश्किल आसाँ हो जाती है... मिलिए हिंदुस्तान के एक उभरते हुए ग़ज़लकार से "( क्लिक करें)

***** PANKAJ K. SINGH


4 comments:

VOICE OF MAINPURI said...

भैया खूब लिखा....मन से लिखा....दिल से महसूस किया.भैया की खूबियों को बखूबी प्रस्तुत किया.उनके जैसा तो कोई नहीं है उनकी क़ाबलियत को देख कर लगता है कि वे सिंह सदन के लिए ही नहीं बल्कि वे इस देश के लिए इस ज़मीन पर अवतरित हुए है.मेरे पिछले जन्मों के नेक कर्मों का नतीजा है जो इस जन्म मैं वे मेरे भाई हैं....दुया है कि वे मेरे हर जन्म में बड़े भाई हो..

Pushpendra Singh "Pushp" said...

भैया आप ने तो रुला ही दिया
इतनी अच्छी पोस्ट लिख कर | मेरे दिल की बात लिखदी आपने
बहुत कुछ लिखा और कुछ भी नहीं लिखा | क्योंकि बड़े भैया एसे महापुरुष है
जिनके बारे में जितना लिखा जाये उतना ही कम है |
वाकई वे कोई साधरण मनुष्य नहीं हो सकते वह अवतार है इस कलयुग के |
बचपन से लेकर आज तक उन्होंने सिर्फ दिया है कभी किसी से कोई अपेक्षा नहीं की |
धन्य है ये सिंह सदन परिवार धन्य है जिला मैनपुरी और धन्य है ये देश |
जहाँ आप जैसे महापुरुष ने जन्म लिया |
में उनके श्री चरणों में बारम्बार प्रणाम करता हूँ | और ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ की हर जन्म में मुझे उनका छोटा भाई बनाना
यदि एसा संभव न हो तो उनका दास जरुर बना देना |

स्वप्न मञ्जूषा said...

अपने मन के भाव आप बखूबी उकेर गए हैं..
अच्छी प्रस्तुति...
धन्यवाद..

हरकीरत ' हीर' said...

कल मैंने आपके ब्लॉग पे कमेन्ट किया था ....पर आज नहीं है ...ऐसी क्या gustakhi हो गयी मुझसे .....???