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Friday, May 4, 2012

महफ़िल......!


हफ़िल की इस कड़ी में आज स्वागत कीजिये हृदेश  जी का...... हृदेश जी को संगीत की समझ काफी गहरी है. पत्रकारिता के दौरान  वे कई इन्टरनेट चैनलों के लिए भी  संगीत समीक्षा करते रहे हैं. उनका संगीत प्रेम सिंह सदन के अन्य  सदस्यों की पसंद से काफी भिन्न है. वे संगीत की सूफियाना धारा से ताल्लुक रखते है. रहस्यवादी (मिस्टिक ) संगीत को वे काफी पसंद करते हैं. क्लासिकल संगीत में भी उनकी रूचि है. उनके पसंदीदा गायक सुखविंदर, नुसरत फ़तेह अली खान, वडाली बन्धु, कैलाश खेर, रेखा भारद्वाज, उस्ताद सुलतान खान और राहत फ़तेह अली खान हैं. उनकी पसंद की बात करें तो वो नुसरत  फ़तेह अली खान का वो गीत है जिसके बोल हैं " तू इक गोरख धंधा है.....,    ". यानी खुदा तुम एक पहेली हो......!  यह गीत रहस्यवाद की परतें खोलता है. यह गीत नाज़ ख्यालवी (1947-2010)  ने लिखा है. यूँ तो नाज़ ख्यालवी एक रेडियो ब्रोडकास्टर थे मगर इस एक गीत को नुसरत ने कुछ इस तरह गाया कि नाज़ ख्यालवी दुनिया भर में लोकप्रिय हो गए.......  गीतकार ने लिखा है कि ----

हर ज़ुल्म की तौफीक है ज़ालिम की विरासत
मजबूर के हिस्से में तसल्ली न दिलासा
कल ताज सजा देखा था जिस शख्स के सर पर
है आज उसी के हाथों में ही कासा 
ये क्या है अगर पूछूं तो कहते हो जवाबन
इस राज़ से हो सकता नहीं कोई 
.............तुम ही अपना पर्दा हो
.............तुम इक गोरखधंदा हो. 
*** कासा (भिक्षा पात्र) 
     शनासा ( समबन्धित) 
"खुदा को महसूस करना है तो इस गीत को ज़रूर सुनें...."

नुसरत ने इसे जिस तरह गया है उससे साबित होता है की दुनिया में उनसे बड़ा और महान कव्वाल कोई नही..... आइये डूबिये -इतराइए नुसरत के सुरों में  और महसूस करिए खुदा के रंग! आईये सुनते हैं इस गीत को जिसमें ख़ुदा के अस्तित्व की पहचान को नए रंगों में रंग   गया है......! 

3 comments:

शिवम् मिश्रा said...
This comment has been removed by the author.
शिवम् मिश्रा said...

मरहूम उस्ताद नुसरत फतेह अली खान साहब को शत शत नमन !

Anonymous said...

sahi kaha aapne