मामा ने हरी नाम को सार्थक कर
दिया
छोटे मामा बेहद प्रगतिशील थे. उस ज़माने मे जब संचार के साधन आज की तरह इतने विकसित नहीं थे. लोग देश दुनिया की जानकारी के लिए शहर का रुख करते थे लेकिन हम गाँव की तरफ भागते थे. बजह थी मामा. जिनको लोग हरी ...वैधजी ...और डायरेक्टर साब के नाम से पुकारते थे…
दर्शन ...तर्क शास्त्र ...नाट्य
...संगीत ...चिकित्सा ...विज्ञान ...फिल्म ..राजनीति और साहित्य जैसी तमाम क्षेत्रों मे उनका बड़ा दखल
था ...श्रीमद्भागवत गीता और श्री रामचरित मानस
पर तो जैसे मामा ने पी एच डी की हो ...उनकी पैदाइश मेदेपुर की थी .मैनपुरी का
बेहद छोटा गाँव .आवादी यही कोई हज़ार बारहा सौ की होगी .मामा चाहते तो अधिकारी बन सकते
थे ...पुराने ज़माने के पढ़े लिखे थे .उस समय नौकरी के लिए आज की तरह मारा मारी नहीं
होती थी ...तहसीलदार की नौकरी नहीं की ...नाना ने सिफारिश कर मास्टरी की नौकरी दिलवा दी...
लेकिन मामा का मन नहीं लगा ...वह तो गाँव के सेवा करना चाहते थे ...अनपढ़ ..शोषित
...बीमारों की सेवा करना चाहते थे ....मामा ने किया भी ...डॉक्टरी सीखी ...लोगों का
इलाज करना शुरू किया ..अन्धविश्वास और अशिक्षा मे जकड़े गाँव को कैसे मुक्त कराया जाये
इस पर हमेशा उनका चिंतन जारी रहता .ग्रीक के दार्शनिको के तरह बंद कच्चे कमरे मे दीये
की लौ को घंटो निहारते जैसे वे दूसरी दुनिया के लोगो से सम्पर्क कर गाँव की दिक्कतों
का हल निकाल रहे हो ..उन्हें हल मिला भी ...
मामा रेडियो लाये .मेदेपुर का पहला रेडियो था ये .अब गाँव के
लोगों को दुनिया की खबरे मिलने लगीं ...सरकार क्या कर रही लोगो को पता चलने लगा ....अब
मामा को लोगों को जागरूक बनाना था ...उन्होंने गाँव में रामलीला का मंचन शुरू किया
..रामलीला को मामा निर्देशित करते थे .रामलीला मंचन के पीछे ग्रामीणों का नैतिक स्तर
उठाना था ...इस रामलीला मे बाहरी कलाकारों नहीं बुलाया जाता था गाँव के युवा इसमें
भाग लेते थे ...मामा के घर का बड़ा आँगन जिसे हमसब लोग आबादी कहते थे रामलीला का अभ्यास
किया जाता था .. पूरा गाँव इस अभ्यास को देखने आता ..मामा के प्रयोग असर दिखा रहे थे
गाँव तरक्की कर रहा था ...मेदेपुर आदर्श गाँव बन रहा था गाँव की लड़कियां स्कूल जा रही
थीं ...मामा ने जो सोचा वो कर दिखाया उन्होंने हरी नाम को सार्थक कर दिया था ....भगवान्
हरी भी तो ऐसा ही करते थे भटके हुए लोगों को राह दिखाते थे ....मामा कहा करते थे आत्मा
अजर अमर है देह नष्ट हो सकती है आत्मा नहीं . मामा आपकी बात कितनी सच लगती है ....
हृदेश सिंह
No comments:
Post a Comment