यूपी पुलिस का बदलता स्वरूप
उत्तर प्रदेश राज्य जनसँख्या की दृष्टी से भारत का सबसे बड़ा राज्य है, वर्ष २०११ की जनगणना रिपोर्ट के अनुसार लगभग १८ करोड़ आबादी जो कि पुरे भारत कि कुल आवादी का २६ प्रतिशत है,यहाँ निवास करती है, वर्त मान में देश में विस्तरित उग्रवाद, नक्सलबाद, साम्प्रदायिक दंगे व् ,अन्य जघन्य अपराध से आंतरिक सुरक्षा एक चुनौती पूर्ण विषय बन गया है, इन बढ़ती उग्र वादी ताकतों का कारण प्रशासन में उत्पन्न दक्षता के अभाव को नकारा नहीं जा सकता, वैश्वीकरण के दौर में अपराधों की प्रकृति में ( अपराधों में तकनीकी का बढ़ता प्रयोग) तेजी से बदलाव आया है, वही इसके विपरीत पुलिस प्रशासन में तकनीकी ज्ञान के अभाव को सरलता से देखा जा सकता है, उदा. पंजाब में एक पुलिसअधिकारी द्वारा एक चोर को पकड़ने के उपरान्त उससे बरामद, आई पैड, और सैमसंग के एंड्राइड फोन, वरामद हुए, अतः इन फोन से जानकारी जुटाने में पुलिस विभाग को खासी मसक्कत करनी पड़ी, इस घटना से पुलिस विभाग में तकनीक के ज्ञान के अभाव को सरलता से देखा जा सकता है, परिणामतः अपराधों के बदलते सवरूप को ध्यान में रखते हुए, यूपी सरकार ने पुलिस प्रशासन में कुछ बड़े बलाव किये है जिससे अपराधों कि बढ़ती संख्या पर अंकुश लगाया जा सके, जो निम्न है
दंगारोधियों से निपटने के लिया मिर्ची बम,_ राज्य सरकार ने दंगा रोधियों से निपटने के लिए केंद्र सरकार से २०० करोड़ रु कि मांग की है, जिससे प्रत्येक जिले की कोतवाली परिसर में ३६०० मिर्ची बम पुलिस के असलाह खाने में मौजूद होंगे,
पर्याप्त सबूतों के लिए वीडियो कैमरा- राज्य सरकार द्वारा सभी जिलों में पुलिस प्रभारियों को 2 2 लाख रूपए वीडीयो ग्राफी के लिए वीडियोकैमरा, थाना प्रभारी एवं पुलिस उप अधीक्षक को मुहैया कराए जाएंगे, जिससे घटना स्थल की वीडियो रिकॉर्डिंग करना अनिवार्य होगा जिससे अपराधियों तक पहुँच बनाने में खासी मदद मिलेगी,
बकौल पुलिस उपाधीक्षक श्यामकांत के द्वारा- देखा जाए तो यह कदम पुलिस प्रशासन में एक सकारात्मक पहल साबित होगी, यह विडियो कैमरा घटना स्थल की वीडियो ग्राफी के लिए तो है ही, साथ ही अपराधियों को अब यह ज्ञात हो जाएगा कि पुलिस वीडियो ग्राफी कर रही है अतः उनके पास अब पर्याप्त साक्ष्य भी मौजूद है अतः इससे उनकी भविस्य में अपराध करने कि मंशा को भी कम किया जा सकता है ,
आधुनिक तकनीक से लैस होगा कंट्रोल रूम - अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस कंट्रोल रूम को तकनीक से लेस किया जा रहा है, जिसमे हर कंट्रोल रूम को GPS युक्त व् GPS वाहन व् वाइक उपलब्ध कराई जाएगी, पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर यह व्यवस्था अभी कानपुर,लखनऊ, इलाहाबाद, में अत्याधुनिक कंट्रोल रूम कार्य अपने अंतिम चरण पर है, इसके आलावा
प्रत्येक जिले के कोतवाली परिसर व् थाना परिसर में कम्प्यूटर की व्यवस्था, जिसमे उस क्षेत्र के सभी अपराधियों का पूरा व्योरा, व् ऍफ़ आई आर दर्ज होगा, जिससे अपराधियों के भागने पर उनकी पहचान की जा सके,
पुलिस जांच को और अधिक वैज्ञानिक तरीके से सम्भव बनाने के लिए फोरेंसिक लेब को आधुनिकीकृत व् सबूतो को ज्यादा गहनता से जानने के लिए बेहतर उपकरण मुहैया कराए जाएंगे, इसके अलावा प्रत्येक जिलों में चौराहों व् जिले के मुख्य मुख्य स्थानो पर सीसी टीवी कैमरे लगवाए जाएंगे व् अन्य नए प्रावधान यूपी सरकार ने वर्ष २०१४ में पुलिस प्रशासन में दक्षता को बढ़ाने हेतु उपलब्ध कराए जाएंगे, जो भविष्य में बढ़ते अपराधो पर नियंत्रण लगाने में सकारात्मक सिद्ध होंगे,
******* dilip kumar