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Sunday, February 16, 2014



यूपी पुलिस का बदलता स्वरूप 



 उत्तर प्रदेश राज्य जनसँख्या की दृष्टी से भारत का सबसे बड़ा राज्य है, वर्ष २०११ की जनगणना रिपोर्ट के अनुसार लगभग १८ करोड़ आबादी जो कि पुरे भारत कि कुल आवादी का २६ प्रतिशत है,यहाँ निवास करती है,   वर्त मान में देश में विस्तरित उग्रवाद, नक्सलबाद, साम्प्रदायिक दंगे व् ,अन्य जघन्य अपराध से आंतरिक सुरक्षा एक चुनौती पूर्ण विषय बन गया है, इन बढ़ती उग्र वादी ताकतों का कारण प्रशासन में उत्पन्न दक्षता के अभाव को नकारा नहीं जा सकता, वैश्वीकरण के दौर में अपराधों की प्रकृति में                  ( अपराधों में तकनीकी का बढ़ता प्रयोग) तेजी से बदलाव आया है, वही इसके विपरीत पुलिस प्रशासन में तकनीकी ज्ञान के अभाव को सरलता से देखा जा सकता है, उदा. पंजाब में एक पुलिसअधिकारी द्वारा एक चोर को पकड़ने के उपरान्त उससे बरामद, आई पैड, और सैमसंग के एंड्राइड फोन, वरामद हुए, अतः इन फोन से जानकारी जुटाने में पुलिस विभाग  को खासी मसक्कत करनी पड़ी, इस घटना से पुलिस विभाग में तकनीक के ज्ञान के अभाव को सरलता से देखा जा सकता है, परिणामतः अपराधों के बदलते सवरूप को ध्यान में रखते हुए, यूपी सरकार ने पुलिस प्रशासन में कुछ बड़े बलाव किये है जिससे अपराधों कि बढ़ती संख्या पर अंकुश लगाया जा सके, जो निम्न है 
          दंगारोधियों से निपटने के लिया मिर्ची बम,_ राज्य सरकार ने दंगा रोधियों  से निपटने के लिए केंद्र सरकार से २०० करोड़ रु  कि मांग की है, जिससे प्रत्येक जिले  की कोतवाली परिसर में ३६०० मिर्ची बम पुलिस के असलाह खाने में मौजूद होंगे,
         पर्याप्त सबूतों के लिए वीडियो कैमरा- राज्य सरकार द्वारा सभी जिलों में पुलिस प्रभारियों को 2 2 लाख रूपए वीडीयो ग्राफी के लिए वीडियोकैमरा, थाना प्रभारी एवं पुलिस उप अधीक्षक को मुहैया कराए जाएंगे, जिससे घटना स्थल की वीडियो रिकॉर्डिंग करना अनिवार्य होगा  जिससे अपराधियों तक पहुँच बनाने में खासी मदद मिलेगी, 
   
          बकौल पुलिस उपाधीक्षक श्यामकांत के द्वारा-   देखा जाए तो यह कदम पुलिस प्रशासन में एक सकारात्मक पहल साबित होगी, यह विडियो कैमरा घटना स्थल की वीडियो ग्राफी के लिए तो है ही, साथ ही अपराधियों को अब यह ज्ञात हो जाएगा कि पुलिस वीडियो ग्राफी कर रही है अतः उनके पास अब पर्याप्त साक्ष्य भी मौजूद है अतः इससे उनकी भविस्य में अपराध करने कि मंशा को भी कम किया जा सकता है , 

        आधुनिक तकनीक से लैस होगा कंट्रोल रूम - अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस कंट्रोल रूम को तकनीक से लेस किया जा रहा है, जिसमे हर कंट्रोल रूम को GPS युक्त व्  GPS वाहन व् वाइक उपलब्ध कराई जाएगी, पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर यह व्यवस्था अभी कानपुर,लखनऊ, इलाहाबाद, में अत्याधुनिक कंट्रोल रूम कार्य अपने अंतिम चरण पर है,  इसके आलावा                      
          प्रत्येक जिले के कोतवाली परिसर व् थाना परिसर में कम्प्यूटर की व्यवस्था, जिसमे उस क्षेत्र के सभी अपराधियों का पूरा व्योरा, व् ऍफ़ आई आर  दर्ज होगा, जिससे अपराधियों के भागने पर उनकी पहचान की जा सके, 
     पुलिस जांच को और अधिक वैज्ञानिक तरीके से सम्भव बनाने के लिए फोरेंसिक लेब को आधुनिकीकृत व् सबूतो को ज्यादा गहनता से जानने के लिए बेहतर उपकरण मुहैया कराए जाएंगे, इसके अलावा प्रत्येक जिलों में चौराहों व् जिले के मुख्य मुख्य स्थानो पर सीसी टीवी कैमरे लगवाए जाएंगे  व् अन्य नए प्रावधान यूपी सरकार ने वर्ष २०१४ में पुलिस प्रशासन में दक्षता को बढ़ाने हेतु उपलब्ध कराए  जाएंगे, जो भविष्य में बढ़ते अपराधो पर नियंत्रण लगाने में सकारात्मक सिद्ध होंगे, 


                                                                                                             ******* dilip kumar 

Saturday, February 8, 2014

                                                   
                                                           अपील -;
             
                                                    ब्लॉग के सभी सदस्यों को सूचित किया जाता है, ब्लॉग की शिथिलता को ध्यान में रखते  सभी सदस्य अपनी उपस्थिती को समय समय पर दर्ज कराते रहें, जिससे ब्लॉग को एक बार पुनःसक्रीय बनाया जा सके, सभी  लेखकों से यह भी अपील है कि EDITORIAL BOARD द्वारा जो कॉलम्स लेखकों को पहले आवंटित किये गए थे उन्हें भी इसी माह यानि १ फ़रबरी २०१४ से पुनः active किया जा  है,  अब यह लेखकों की जिम्मेदारी है कि वे अपने लेखनधर्म का निर्वाह करें, पाठकों को बेहतर पाठ्य सामग्री उपलब्ध कराएं,तथा ब्लॉग को पुनः उसी स्तर पर पहुंचाएं जिसके लिए वह विख्यात है।
                  आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है  कि ब्लॉग के सभी प्रमुख लेखक  श्री पवन कुमार ,श्यामकांत , हृदेश सिंह , पुष्पेन्द्र सिंह ,दिलीप कुमार , श्री मती शीला देवी ,४८ घंटे के भीतर अपनी उपस्थिती दर्ज करा देंगे।इस सन्दर्भ में कॉलम्स लेखकों को अलग से दूरभाष पर भी सूचित किया जा रहा है  


                                                     *****PANKAJ.K. SINGH

Tuesday, February 4, 2014

अमेरिका  की वर्चस्वतावादी नीति ; देवयानी मामला                                                          


              पिछले कुछ दिनों से भारतीय  राजनयिक देवयानी खेबरागड़े का प्रकरण समाचार पत्रों के मुख्य अंश बने रहे, और हों भी क्यों न यह मामला भारत के सम्प्रभुता पर प्रसन्चिन्ह लगाता है ,
      विवाद कुछ इस प्रकार था, 
कि भारतीय राजनयिक देवयानी खेबरागड़े एक घरेलू नौकरानी को लेकर अमेरिका गई थी वहाँ  पर उसे वेतन  भारतीय परिस्थितीयों के अनुसार दिया जा रहा था, जो कि अमेरिका में लागू न्यूनतम वेतन से कम था, नौकरानी ने अपनी स्थति कि अनुसार सप्ताह के अंत में किसी अन्य के यहाँ काम करके पैसा कमाने की इच्छा खेबरागड़े से व्यक्त की, चूँकि नौकरानी को वीजा खेबरागड़े के घर में काम करने  के लिए ही मिला था इसलिए  खेबरागड़े ने इससे साफ़ इंकार कर दिया, इसी बीच वह नौकरी छोड़कर चली गई, खेबरागड़े ने हालांकि पुलिस में रपट भी लिखाई, लेकिन अमेरिकी पुलिस द्वारा इस पर कोई कार्यवाही नहीं कि गई, बाद में नौकरानी ने खेबरागड़े के खिलाफ न्यूनतम मजदूरी से कम वेतन देने के सम्बन्ध में आरोप लगा दिया, जिससे खेबरगड़ेको हिरासत में ले लिया गया, लेकिन हिरासत में लेने के बाद खेबरागड़े की निर्वस्त्र तलाशी, एवं जघन्य मामलों में शामिल अपराधीयों के साथ उनको वैरक में बंद रखा गया, यही पहलू भारत और अमेरिका के सम्बन्धों में आए दरार को प्रदर्शित  है, 
                                  ऐसा नहीं है कि अमेरिका द्वारा यह विवाद पहली बार सामने आया है, इससे पहले २००२,०३ में भारत के रक्षा मंत्री जॉर्जफर्नांडीस, एपीजे अब्दुल कलाम, रामदेव, व् अन्य फिल्मी हस्तीयां भी अमेरिका की इस वर्वरता का शिकार हो चुकी है, अमेरिका भारत को एक banana रिपब्लिक का दर्ज देता है, वह दक्षिण एशिया में अपने वर्चस्व को बनाए रखने के लिए तथा चीन की उभरती अर्थव्यवस्था  के साथ दक्षिण एशिया में उसके बढ़ते वर्चस्व को प्रति संतुलित करने के लिए भारत को रणनीतिक रूप में इस्तेमाल करता है,यह   अमेरिका है जो किसी भी देश में व्याप्त भ्रष्टाचार, मानवाधिकार,एवं आंतरिक अव्यवस्थाओं का हवाला देकर अपनी रिपोर्टों के माध्यम से उसकी स्थिती  को सुद्रण करने कीसलाह देता है,आज  वैश्वीकरण के दौर  में प्रत्येक देश की परस्थितीयां तेजी से बदल रही है, पहले जहाँ मिस्स्र अपनी आंतरिक समस्याओं से जूझ रहा था आज वह अपने मजबूत संबिधान की बुनियाद पर खड़ा है, नेपाल में जहाँ कभी राजतंत्र हुआ करता था, आज वहाँ पूर्णतः लोकतंत्र प्रभावी हो गया है आज विकासशील देशों के बदले हुए स्वरूप को कम नही आँका जा सकता, जो राष्ट्र कभी बीमारू राष्ट्र के नाम से जाने जाते थे वे आज विकासशील राष्ट्र की कतार में खड़े है,  इसलिए अमेरिका को अब विकासशील राष्ट्रों के प्रति banana रिपब्लिक का  दृष्टिकोण त्यागना होगा , और अपनी वर्चस्ववादी नीत को कम कर सम्रध एवं उदार व्यवहार अपनाना होगा,

 कुछ दिनों पहले अमेरिका nsa की खूफिया एजेंसी में कार्यरत एडवर्ड स्नोडेन नामक व्यक्ति ने कुछ अहम् खुलासे किये, इससे साफ़ जाहिर है, कि अमेरिका अपनी वर्चस्वता को सिद्ध करता रहता है, स्नोडेन का कहना था कि अमेरिका अपनी खूफिया एजेंसी प्रिज्म की  निगरानी के दायरे में आने बाले लोगो में भारतीय पांचवे नंबर पर आते है, और आज भारत ही नहीं अमेरिका अपने जासूसी कार्क्रम प्रिज्म के माध्यम से संसार से  ५अरब इंटरनेट एड्रेस पर लगातार नजर रखता है, वहीं इस विवाद का दूसरा पहलू  भारत को अपनी नीतियों के कारण कटघरे में खड़ा करता है     ,यहाँ मेरा मानना है कि , 
                         कि इससे पहले भी भारतीय राजनयिकों (उपर्लिखित) व्  फिल्मी हस्तीयों को रोकने के संबंद्ध में भारत ने कोई प्रतिक्रीया व्यक्त नही की, इसके आलावा कुछ दिन  पहले अमेरिका के निगरानी करने के सम्बन्ध  में भारतीय विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद का कमजोर सा वयान था कि'' भारत ऎसी कोई टिप्पड़ी तक नही करेगा जिससे अमेरिका को नाराजगी हो, इसके आलावा स्नोडेन ने भारत में शरण मांगने पर आवेदन किया तो भारत ने आवेदन ख़ारिज करने में कुछ ज्यादा ही तेजी दिखाई, ऐसे कुछ अन्य विवाद RAW के वरिष्ठ अधिकारी को सीआईए ने अपना गोपनीय एजेंट बना रखा था,ऐसे कई मामले है जो जनता के समक्ष लाए ही नहीं गए, और उनको दवा दिया गया, और जब आज देवयानी मामला सामने आया तो संप्रग सरकार ने संसदीय चुनाव को ध्यान में रखते हुए, जैसा रुख अपनाया है वैसा भारतीयों में कभी देखने को नहीं मिला, जिससे साफ़ जाहिर है कि दिवपक्षीय सम्बन्धों में राजनीति के हस्तक्षेप को अनदेखा नही किया जा सकता,
                           परिणामतः- भारत को आज अपनी अर्थव्यवस्था में सुधार लाने के  लिए विकसित राष्ट्रों के  सहयोग की जरूरत है, वहीं अमेरिका को अपने वर्चस्व वादी रवैये को छोड़ अपनी जनता में व्याप्त अशंतोस ( वढ़ती वेरोजगारी, घरेलू बाजार में चीनी उत्पादों कि बढ़ती संख्या,सिकुड़ती अर्थव्यवस्था ) को ध्यान में रखते हुए विकासशील देशों के प्रति उदार रवैया अपनाना चाहीये, जिससे वैश्विक स्तर पर विकास को संभव किया जा सके,                                               

                                                                                             ****** dilip kumar